Rules & Regulations
अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन पंजीकरण के लिए शपथ पत्र-1
पंजीयन संख्या 10211/4/5/79
1.नाम
इस संस्था का नाम ‘अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन’ जो अंग्रेजी में ALL INDIA AYURVEDIC SPECIALISTS (PG) ASSOCIATION नाम से एवं इस संविधान में सूत्र रूप से ‘सम्मेलन’ के नाम से होगा।
2.कार्यालय
इस संस्था का प्रधान कार्यालय भारत की राजधानी ‘दिल्ली’ में होगा एवं उप कार्यालय सुविधानुसार अन्य राज्यों में भी हो सकेंगे। वर्तमान में ई- 28, डेरी रोड, आदर्श नगर, दिल्ली-110033 में प्रधान कार्यालय है।
3.मुख्य उद्देश्य
- आयुर्वेद में विशेषता परम्परा बनाना, बढ़ाना और प्रश्रय देना इस सम्मेलन का मुख्य उददश्य होगा।
- आयुर्वेद के स्नातकोत्तर स्नातकों को एक सूत्र में बाधकर पारस्परिक प्रेम उत्पन्न करना उसके ज्ञानवर्धन योग्यता एवं प्रतिभा का प्रदर्शन करना।
- आयुर्वेद के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करना, उसके शोध के मार्ग को प्रशस्त करना और उस दिशा में किए जाने वाले कार्यो में सहयोग देना।
- आयुर्वेद के उत्थान के लिए सेवा निवृत एवं वयोवृद्ध विद्वानों से सहयोग लेकर इस चिकित्सा के उत्थान के लिए कार्य करना ।
- स्वयंसेवी चिकित्सको का एक दल तैयार करना जो देहात में जाकर निःशुल्क चिकित्सा परामर्श दे सके।
- आयुर्वेद शोध एवं अनुसंधान संबंधी जानकारी निमित्त मासिक पत्रिका एवं ग्रंथो का प्रकाशन करना या करने में सहयोग प्रदान करना।
- सरकारी निकायों अथवा धनी सज्जनों एवं संस्थाओं को प्रेरित कर आयुर्वेद चिकित्सा आतुरालय, औषधालय, फार्मेसी, वाचनालय, ग्रंथालय एवं शोध संस्थाओं को खुलवाना।
- विचार गोष्ठियों के माध्यम से आयुर्वेद संबंधी समस्याओं का निराकरण करना।
- आयुर्वेद के प्रचारार्थ विचार गोष्ठियों, व्याख्यान मालाओं, सामयिक पत्र लेख निबन्ध पुस्तक रचना, प्रदर्शनी एवं सम्मेलनों का आयोजन करना।
- आयुर्वेद के स्नातकोत्तर अर्हताधारी व्यक्तियों के अधिकार एवं प्रतिष्ठा संबंधी प्रश्नों को सुरक्षित रखने एवं सुविधा प्राप्त करने तथा आवश्यक स्वत्व प्राप्त करने के लिए एवं कर्तव्यनिष्ठ बने रहने के लिए प्रवृत्त करना।
- अन्य कोई भी क्रिया कलाप जो आयुर्वेद के उत्थान के लिए हो उनको करना या करने में सहायता प्रदान करना।
4.स्वरूप
यह सम्मेलन वैज्ञानिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का अनुकरण करते हुए तकनीकी विशेषज्ञता से युक्त होगा। किसी भी प्रकार के राजनैतिक कार्यों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होगा
अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन के नियम व उपनियम
1. समिति का नाम
इस संस्था का नाम ‘अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन होगा व इस संविधान में सूत्र रूप से सम्मेलन के नाम से होगा।
2.समिति का कार्यालय
इस संस्था का प्रधान कार्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में होगा एवं उपकार्यालय सुविधानुसार अन्य राज्यों में हो सकेगा। वर्तमान में इसका कार्यालय ‘ई 28. डेरी रोड, आदर्श नगर, दिल्ली 110033 में हैं।
3.सदस्यता
क) भारत सरकार अथवा भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद द्वारा स्नाकोत्तर अर्हताधारी इस सम्मेलन के सदस्य हो सकेंगें। भारत से बाहर देशों के आयुर्वेद परास्नातक (Post Graduate) भी इसके सदस्य हो सकेंगें।
ख) सदस्यता शुल्क 100/- रू० वार्षिक होगा। वर्ष में किसी भी समय सदस्यता प्राप्त कर लेने पर उस सम्पूर्ण वर्ष का शुल्क सदस्य को अग्रिम देना होगा जोकि वर्ष के अन्त 31 दिसम्बर तक के लिए होगा।
ग) आजीवन सदस्यता शुल्क 2000/- रू देने पर होगी
घ) सदस्यता शुल्क को कम या अधिक करने का अधिकार प्रतिनिधि सभा (साधारण सभा) को होगा।
ङ) आयुर्वेद स्नातकोत्तर अध्ययन कर रहे एवं आयुर्वेद स्नातक शिक्षा के बाद सीधे पी०एच०डी० करने वाले विद्वान भी 100/- वार्षिक 1000/- आजीवन सदस्यता शुल्क देकर सहायक सदस्य बन सकते हैं । ऐसे सदस्यों को मताधिकार नहीं होगा।
4.सदस्यता से वंचित करना
क) त्याग पत्र देने पर या मृत्यु हो जाने पर।
ख) यदि कोई सदस्य समिति के नियम एवं उपनियमों को नहीं मानता है तो उसे सदस्यता से वंचित करने का कार्यकारिणी समिति को ही अधिकार होगा।
ग) निर्धारित शुल्क न देने पर ।
घ) यदि कोई सदस्य लगातार तीन बैठको में बिना सुचित किये अगर उपस्थित नहीं होता है तो उसे सदस्यता से निकालने का कार्यकारिणी समिति को पूर्ण अधिकार होगा
ड) पागलपन होने पर, त्याग पत्र देने पर स्वीकृति के उपरांत कार्यकारिणी समिति के सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
5.कार्यकारिणी समिति के निम्नलिखित पदाधिकारी होगें।
1) अध्यक्ष -1
2) उपाध्यक्ष-4
3) महामंत्री-1
4) मंत्री -4 (प्रबन्ध मंत्री, संगठन मंत्री, प्रकाशन मंत्री व प्रतियोगिता मंत्री)
5) कोषाध्यक्ष-1
6) सदस्य- राज्य शाखाओं के अध्यक्ष पदेन सदस्य एवं पांच अध्यक्ष द्वारा मनोनित सदस्य।
6.कार्यकारिणी समिति के अधिकार एवं कर्तव्य
- सम्मेलन के कार्यों का प्रबन्ध करना तथा ऐसे कार्य करना जो कि समिति के हित में आवश्यक हो तथा जिसके करने की समिति की साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) उससे अपेक्षा करें।
- आवश्यकतानुसार सम्मेलन के कार्य के लिए किसी व्यक्ति को नौकर रखना तथा वेतन निश्चित करना।
- सम्मेलन की नीतियों के संचालन एवं कार्यों को पूरा करने के लिए आवश्यकतानुसार उपसमितियों की स्थापना करना तथा उनके संयोजको की नियुक्ति करना।
- सम्मेलन के कार्यालय उसके संगठन तथा उसकी समितियों के कार्य का निरीक्षण करना तथा उन्हें नियन्त्रण में रखना।
- सम्मेलन की वार्षिक रिपोर्ट आय-व्यय विवरण तथा आय विवरणों को पारित करना तथा
- साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) की बैठक में उन्हें स्वीकृत कराना।
- आवश्यकतानुसार कुछ महत्वपूर्ण मामलो या कुछ महत्वपूर्ण कार्यो पर विचार विमर्श के लिए साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) की बैठक में उन्हें स्वीकृत कराना।
- कार्यकारिणी समिति की बैठक छ माह में एक बार होनी अनिवार्य है।
- रिक्त स्थानों की पूर्ति करना।
- सम्मेलन के लेखे जोखे निरीक्षण के लिए लेखा परीक्षक की नियुक्ति करना।
7.साधारण समिति (प्रतिनिधि सभा) के अधिकार एवं कर्तव्य –
7.1) सम्मेलन के समग्र कार्यों के संचालन की शक्ति एवं प्रतिनिधि सभा में निहित होगी. जिसका गठन निम्नलिखित रूप से किया जायेगा।
- प्रत्येक संस्था या राज्य शाखा के प्रति दस सदस्यों का एक प्रतिनिधि परन्तु किसी एक शाखा या संस्था के प्रतिनिधियों की संख्या एक समय में चार से अधिक न होगी क्योंकि जिन संस्थाओं के सुविधानुसार समूह बनाकर उन्हें भी प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था की जा सकेगी।
- राज्य शाखाओं के अध्यक्ष एवं मंत्री ।
- पन्द्रह से अधिक सहयोजित सदस्य, जिनका नाम निदेशन कार्य समिति द्वारा किया जायेगा और यह ऐसा करते समय उपयुक्त 7 (क) के अन्तर्गत प्रतिनिधित्व न पाने वाली संस्थाओं का समुचित ध्यान रखेगी।
- प्रतिनिधि सभा के हित में किसी विद्वान नेता या सरकारी अधिकारियों को अपना संरक्षक बना सकेगी।
- सम्मेलन का सदस्य बनने का अधिकारी अनुच्छेद 3 (3) में वर्णित 10000/-रू० शुल्क देकर प्रतिनिधि सभा का आजीवन सदस्य बन सकेगा। ऐसे सदस्यों को प्रतिनिधि सभा के अन्य सदस्यों की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
7.2) (क) साधारण समिति की प्रतिनिधि सभा की बैठक साल में एक बार होनी अनिवार्य है।
ख) सम्मेलन की कार्यकारिणी समिति द्वारा विचार किए गए एवं भेजे गए प्रस्तावों मामलों आदि पर विचार करना।
ग) सम्मेलन की सामान्य नीति उसके कार्यक्रमों तथा योजनाओं का निर्धारण करना
घ) सम्मेलन की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
ड) सम्मेलन की वार्षिक आय-व्यय विवरण आदि पर विचार कर स्वीकार करना
च) कार्यकारिणी समिति के सदस्यों का चुनाव साधारण समिति (प्रतिनिधि सभा) की बैठक में ही होगा।
छ) सम्मेलन के नियमों एवं उपनियमों में संशोधन करना हो तो साधारण समिति (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुलानी अनिवार्य होगी।
8. कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्तव्य –
1.अध्यक्ष-
यह सम्मेलन की साधारण सभा की बैठको कार्यकारिणी समिति की बैठकों की बैठकों तथा अन्य सभाओं की अध्यक्षता करेगा। यह अपने अधिकार में एक समय मे 10,000/- रु तक की राशि व्यय कर सकता है। जिसकी पुष्टि वह कार्यकारिणी समिति से करायेगा सभाओं में किसी प्रस्ताव या मामलों में समान मतदान होने पर निर्णायक मत देकर उसका निर्णय करेगा। कार्यकारिणी समिति के लिए पांच सदस्य मनोनीत करने का पूर्ण अधिकार होगा।
2.उपाध्यक्ष-
यह अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके समस्त कार्यों की देखभाल करेगा। और उनको अपना पूर्ण सहयोग देगा।
3.महामंत्री-
यह सम्मेलन के समस्त कार्यो के संचालन के लिए उत्तरदायी होगा यह सम्मेलन से संबंधित समस्त संस्थाओं से सम्पर्क रखेगा और उन्हें सहयोग देगा, एवं उनसे सहयोग लेगा। सम्मेलन तथा उसकी सभाओं और समितियों में विचारार्थ जो भी प्रस्ताव रिपोर्ट सुझाव आदि आयें वह उन्हें अध्यक्ष की अनुमति से समाओं और समितियों को विचारार्थ प्रस्तुत करेगा। सम्मेलन के आय व्यय का ब्यौरा कार्य कारिणी समिति और साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) की बैठको में प्रस्तुत करेगा। सम्मेलन के कार्यों के लिए 5000/- रू० तक व्यय कर सकता है। जिसकी पुष्टि कार्यकारिणी समिति द्वारा करानी होगी। सम्मेलन की ओर से हरेक प्रकार का पत्र-व्यवहार करेगा।
4.मंत्री
ये महामंत्री के निर्देशानुसार प्रबन्ध कार्यालय, संगठन प्रचार, प्रकाशन, प्रतियोगिता आदि के कार्यो की देखभाल करेंगे और महामंत्री को अपना पूर्ण सहयोग देगें। और महामंत्री की अनुपस्थिति में प्रबंध मंत्री उनके समस्त कार्यों की देखभाल करेगा।
5.कोषाध्यक्ष
यह सम्मेलन के सदस्यों से चन्दा इक्टठा करेगा और समस्त आय-व्यय का पूर्ण हिसाब किताब रखेगा। यह 2000/- रू0 तक की धनराशि अपने पास रखेगा। और उससे अधिक राशि को किसी डाकखाने या बैंक में जमा करेगा। डाकखाने या बैंक से रूपया निकलवाने के लिये निम्नलिखित तीन पदाधिकारियों में से किन्हीं दो के हस्ताक्षर होने अनिवार्य है। 1) अध्यक्ष, 2) महामंत्री 3) कोषाध्यक्ष
9. कार्यकाल
कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल 2 वर्ष होगा। परन्तु विशेष परिस्थिति में चुनाव न होने पर चुनाव होने तक यह समिति कार्य करती रहेगी।
10. वित्तीय वर्ष
समिति का वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक होगा।
11. चुनाव सूची भेजना
कार्यकारिणी समिति के सदस्यों एवं पदाधिकारियों का चुनाव दो वर्ष के बाद होगा। परन्तु इसके चुने हुए सदस्यों के नाम, घर का पता, व्यवसाय तथा संस्था में पद की एक सूची संस्था पंजीयक कार्यालय को हर वर्ष भेजनी होगी। जो कि संस्था एक्ट की धारा 4 के अनुसार होगी।
12. चुनाव प्रणाली
कार्यकारिणी समिति और साधारण समिति (प्रतिनिधि सभा) की बैठक में 1/3 सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य है। इससे कम उपस्थिति में बैठक स्थगित कर दी जायेगी।
13.कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की संख्या
कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की संख्या कम से कम ग्यारह और अधिक से अधिक एकतीस होगी।
- न्यायालय में कोई भी केस आदि फाईल करना हो तो वह सम्मेलन के नाम से ही होगा, और सम्मेलन के नाम से केस फाईल करने का अध्यक्ष व महामंत्री को ही पूर्ण अधिकार होगा। जो कि संस्था एक्ट की धारा 6 के अनुसार होगा।
15.संशोधन
सम्मेलन के किसी ज्ञापन पत्र आदि में संशोधन करना हो तो वह संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 की धारा 12 व 12 (ए) के अनुसार होगा ।
16.विघटन
सम्मेलन की साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) के 3/5 सदस्यों के बहुमत से विघटन किया जा सकता है। सम्मेलन के विघटन होने पर इस की चल और अचल संपत्ति को सदस्यों में नहीं बाटा जायेगा। बल्कि 3/5 सदस्यों के निर्णय से किसी ऐसे ही उद्देश्य वाली समिति को दान के रूप में दिया जायेगा। जो कि एक्ट की धारा 13 व 14 के अनुसार होगी।
17.प्रकीर्ण
1) सम्मेलन के कार्य को सुन्दर ढंग से चलाने के लिए प्रत्येक राज्य में दस या इससे अधिक सदस्य मिलकर सम्मेलन की राज्य शाखा को बतायेगें भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में भी 5 (पांच) सदस्य मिलकर देशीय शाखा का गठन कर सकेंगे।
2) शाखा सम्मेलन के सामन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करेगी।
3) शाखा अपने कार्य संचालन के लिए एक कार्य समिति निम्न प्रकार से गठित करेगी
3.क) अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री उपमंत्री, कोषाध्यक्ष और अधिकतम पांच अन्य सदस्य किन्तु अन्य सदस्यों की यांछित संख्या का निर्णय चुनाव से पूर्व उसी बैठक में कर लिया जायेगा। चुनाव के समय सम्मेलन के महामंत्री अथवा उसके द्वारा अधिकृत अन्य कार्यकर्ता की देखरेख में चुनाव सम्पन्न होगा। इसी अवसर पर साधारण सभा (प्रतिनिधि सभा) के लिए शाखा के प्रतिनिधि और लेखा परीक्षक जो कार्यसमिति के पदेन सदस्य होगें का भी चुनाव होगा।
4) शाखा के सदस्यों से प्राप्त वार्षिक सदस्यता शुल्क का आधा भाग शाखा के पास रहेगा और आजीवन सदस्यता शुल्क सम्पूर्ण संघ केन्द्रीय समिति के कोषाध्यक्ष को भेज दिया जायेगा।
5) शाखा अपने कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया नियम यथा अवसर बना सकेगी। शाखा मंत्री, अध्यक्ष अथवा कोषाध्यक्ष द्वारा व्यय करने के अधिकार की सीमा शाखा की कार्य समिति निर्धारित करेगी। अन्यथा शाखा मंत्री को किसी एक मद पर एक बार में 1000/- रूपये तक का व्यय करने का अधिकार होगा।
6) शाखा के सदस्यों को साधारण सभा और कार्यसमिति का गणपूरक (कोरम) वही होगा जो इस विधान के केन्द्र की प्रतिनिधि सभा और कार्य समिति के लिए विहित किया गया है।
7) शाखा मंत्री के कार्य का वार्षिक प्रतिवेदन और लेखा परीक्षक द्वारा परीक्षित लेखे की प्रमाणित प्रति शाखा की साधारण सभा की वार्षिक बैठक अनुमोदित करा कर महामंत्री के नाम भेजेगा।
8)उप नगरों जहां दस (विदेशो में 5) या इससे अधिक सदस्य हों उनकी एक स्थानीय शाखा प्रान्तीय शाखा के निर्देशानुसार बनाई जा सकेगी। इसके पदाधिकारी नियम, उपनियम प्रान्तीय शाखा के तरह के होंगे।
- संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली में यथा प्रभावी समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 का (21) पंजाब संशोधित अधिनियम 1957 के समस्त उपलब्ध इस समिति (सम्मेलन) पर लागू होगें।
- प्रमाणित किया जाता है कि यह सम्मेलन के नियम एवं उपनियमों की सही प्रति है।
क्रम स |
नाम |
संस्था में पद |
हस्ताक्षर |
1 |
श्री शिव कुमार मिश्र |
अध्यक्ष |
|
2 |
श्री धर्मवीर |
महामंत्री |
|
3 |
श्री कुलभुषण गुप्ता |
कोषाध्यक्ष |